
Panchkosh Sadhna Experience Sharing – 5
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 02 Oct 2021 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्|
SUBJECT: साधकों द्वारा पंचकोश साधना अनुभव साझा करना
Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर सक्सेना जी
Hosting: आ॰ सुभाष सिंह जी (गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)
ऐश्वर्यं पुरूषार्थश्च तेज ओजो यशस्तथा। प्राणशक्तया तु वर्धन्ते लोकानामित्यसंशयम् ।।11।। अर्थात् प्राण शक्ति से मनुष्य का ऐश्वर्य, पुरूषार्थ, तेज, ओज एवं यश निश्चय ही बढ़ते हैं।
“As many branches so many trees.”
आ॰ प्रज्ञा शाण्डिल्य जी (Psychologist, गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)
अनुभव – ‘उपासना, साधना, अराधना’ का तत्त्व दर्शन, ‘आत्मसमीक्षा, आत्मसुधार, आत्मनिर्माण व आत्मविकास’, उपवास, सात्विक आहार विहार, जप-ध्यान, आरोग्य, कोविड मैनैजमेंट, स्वाध्याय, ‘शांत, प्रसन्न चित्त व संतुलित मन’ आत्मीयता आदि
आ॰ भजन लाल मालवीय जी (Computer Professional, बेतूल, म॰ प्र॰)
अनुभव: आरोग्य, नियमितता, स्वाध्याय, मेधा/ प्रज्ञा, स्फूर्ति, उत्साह – उमंग, संतोष व आत्मीयता आदि।
आ॰ प्रतिभा मूले (योग शिक्षिका, पुणे, महाराष्ट्र)
अनुभव: आरोग्य, नियमितता – निरंतरता, स्फूर्ति, अनुशासन, स्वाध्याय, मेधा/ प्रज्ञा, स्वावलंबन व आत्मीयता आदि।
आ॰ सुगम जी (साफ्टवेयर इंजीनियर, योग शिक्षक, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश)
अनुभव: वरेण्यं योगा प्राइवेट लिमिटेड, आरोग्य, प्राणवान, स्वाध्याय, मेधा/प्रज्ञा, व्यापकता व आत्मीयता आदि।
आ॰ श्याम जी (Businessman, चित्तौड़गढ़, राजस्थान)
अनुभव: आरोग्य, ऊर्जावान, प्राणवान, नियंत्रित व प्रसन्नचित्त मन, ईमानदारी व आत्मीयता आदि।
आ॰ सविता सिंह जी (गृहिणी, ग्वालियर, म॰ प्र॰)
अनुभव: ‘शांत, संतुलित व प्रसन्नचित्त मन’, शारीरिक रोग निदान, आरोग्य, भावनात्मक संतुलन, नियमितता व आत्मीयता आदि।
आ॰ विद्येन्द्र प्रताप सिंह (Banker, लखनऊ, उ॰ प्र॰)
अनुभव: नियमितता, ऊर्जावान, प्राणवान, प्रतिभावान, स्फूर्ति, उत्साह उमंग व आत्मीयता आदि।
आ॰ अंकुर सक्सेना जी (साफ्टवेयर इंजीनियर)
अनुभव: आरोग्य, नियमितता, सतेज मन, प्रज्ञा, तात्विक दृष्टिकोण, आत्मानंद, श्रद्धा व आत्मीयता आदि।
आ॰ रूपा जी देवी (गृहिणी, डेहरी ओनसोन, सासाराम, बिहार)
अनुभव: आरोग्य, ‘ईमानदारी, समझदारी, जिम्मेदारी व बहादुरी’, श्रद्धा प्रज्ञा व आत्मीयता आदि।
आ॰ पूरण सिंह पाँती (योग शिक्षक, मुंशियारी, गायत्री चेतना केन्द्र)
अनुभव: स्वस्थ तन – मन, प्रज्ञावान, श्रद्धावान, आत्मसंतुष्टि व आत्मीयता आदि।
आ॰ के पी दूबे जी (मानवाधिकार, योग शिक्षक, मुंबई, महाराष्ट्र)
अनुभव: आरोग्य, प्राणवान, क्रियायोग सिद्धि, स्वाध्याय, सत्संग, सहज समाधि व आत्मानुभूति आदि।
आ॰ विपिन कुमार जी (Businessman, फरीदाबाद, उ॰ प्र॰)
अनुभव: जप – ध्यान सिद्धि, आरोग्य, प्राणवान, स्थितप्रज्ञता, श्रद्धा व आत्मीयता आदि।
आ॰ उमा सिंह (गृहिणी, बैंगलोर, कर्नाटक)
अनुभव: नियमितता, निरंतरता, तन्मयता, स्वाध्याय, ऊर्जावान, प्रज्ञावान, निष्ठा, श्रद्धा व आत्मीयता आदि।
आ॰ डॉ॰ रामदास गाडेकर (चिकित्सक, योग शिक्षक, बेतुल, म॰ प्र॰)
अनुभव: आरोग्य, नियमितता, प्राणवान, तात्विक दृष्टिकोण आदि।
आ॰ तृप्ति ऋषि (योग शिक्षिका, प्रज्ञाकुंज सासाराम बिहार)
अनुभव: ग्रहण शक्ति, आरोग्य, प्राणवान, शांत संतुलित व प्रसन्न चित्त मन, सजल श्रद्धा – प्रखर प्रज्ञा व आत्मीयता आदि
आ॰ श्री लाल बिहारी सिंह @ ‘बाबूजी’
सभी आत्मसाधकों को साभार नमन।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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