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Adhyatm Vigyan – 2

Adhyatm Vigyan – 2

PANCHKOSH SADHNA –  Online Global Class –  01 Aug 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

SUBJECT:  अध्यात्म विज्ञान – 2

Broadcasting: आ॰ अंकूर जी

आ॰ विष्णु आनन्द जी

श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी

वैदिक युग में अध्यात्म विज्ञान इतना समुन्नत था की मानवी चेतना, पदार्थ पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर यथोचित लाभ लेते।

गायत्री महामंत्र के आध्यात्मिक संग वैज्ञानिक प्रतिपादन को सर्वसमक्ष लाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए।

गुरूदेव ने अन्नमय व प्राणमयकोश को स्थूल शरीर अंतर्गत रखा है।
अन्नो वै ब्रह्म। अन्नमयकोश के आनंद को हम निरोगी काया (healthy body) के रूप में समझ सकते हैं।
विचार और भावनाओं का प्रभाव Glands पर पड़ता है। पीट्युटरी और पीनियल ग्लैंड्स – Endocrine System को नियंत्रित करती हैं। सातों चक्र की संगति सातों ग्लैण्डस से बिठाई जा सकती है। जीवेम शरदः शतम। सौ वर्ष तक बसंत आयु का आनंद लेवें।
१. Pineal gland
२. Pituitary gland
३. Thyroid gland
४. Thymus gland
५.  Pancreas
६. Adrenal gland
७. Ovary/Testis

आहार शुद्धि संग तप तितिक्षा भी आवश्यक का आध्यात्मिक वैज्ञानिक प्रतिपादन। 12 युगानुकुल तपश्चर्या से जीन्स व डीएनए के आनुवांशिक लक्षणों को बदला जा सकता है। अन्नमयकोश क्रियायोग से  चुम्बकत्व और प्राणमयकोश क्रियायोग से जैव विद्युत को परिमार्जित व संवर्धित कर यथोचित लाभ लिये जा सकते हैं। ध्वनि विज्ञान से भी डीएनए परिवर्तन संभव है। जिसे झींगुर के भृंगी में परिवर्तन से समझाया गया है।

आकांक्षा – विचारणा – क्रिया“। मनःक्षेत्र @ विचारों एवं भावनाओं (पीट्युटरी एवं पीनियल) का प्रभाव Endocrine System पर आध्यात्मिक वैज्ञानिक प्रतिपादन।

जिज्ञासा समाधान

सप्त चक्रों में सभी चक्र के अपने अपने अनुदान हैं। जहां अवरोध है वहां अनुदान लेकर अवरोध हटाया जा सकता है। यह भावपरक विज्ञान है जिसके लाभ प्रत्यक्ष होते हैं।

डायबिटीज़ रोग के निदान में आहार विहार संयम, औषधि व पंचकोशी क्रियायोगों को शामिल कर यथोचित लाभ लिए जा सकते हैं। खुश रहना सर्वोत्तम औषधि है।
विधेयात्मक चिंतन (positivity) से Endocrine System को healthy बनाया जा सकता है। अचिंत्य चिंतन व तदनुरूप अयोग्य आचरण ही सारे कलह क्लेश कषाय कल्मश का मूल है।

क्रोध‘/ आवेश को नियंत्रण में लाने का अचूक औषधि ‘प्रेम’ है। क्रोध के मूल कारणों में आसक्ति (राग – द्वेष) एक हैं।

उद्देश्य – एकात्म @ अद्वैत।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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