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पंचकोश जिज्ञासा समाधान (15-11-2024)

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (15-11-2024)

आज की कक्षा (15-11-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:-

सुन्दरीतापिन्युपनिषद् में कामकलालय चक्र की व्याख्या करते हैं . . . ये पंचकाम सम्पूर्ण चक्र को व्याप्त करके स्थित है, मध्यम काम को सबसे अन्त में स्फुटित करके . . . साध्य को दो बार . . . इस प्रकार चक्र को जो जानता है, वह सब प्रकार के विष को स्तम्भित कर सकता है, का क्या अर्थ है

  • तापनी का अर्थ = जो जीवन के सभी प्रकार के तापो को नष्ट करें
  • कुछ तंत्रात्मक उपनिषद् है, यह भी तंत्रात्मक उपनिषद् में आता है
  • जहा बीजमंत्र लगा वो तंत्रात्मक हो गया, वेदमंत्र में यह मंत्र नहीं होता, उपनिषदिक होता है, ऋषिगण अक्षपालिकोपनिषद् के एक एक अक्षरों का उपयोग इन्ही के माध्यय से करते थे
  • जो तंत्रात्मक उपनिषदो में रहता है वह पूरा नही रहता अपितु सांकेतिक रहता है इसलिए जब तक गुरु इसकी दीक्षा ना दे, इन मंत्रों का उपयोग नहीं करना चाहिए
  • हमारे गुरु ने हमें केवल गायंत्री मंत्र दिया है, इसमें बीज मंत्र के रूप में व्याहृतियां आती है
  • गुरुदेव ने हमें जो मंत्र का दीक्षा दिया है वह यजुर्वेद के 36वें अध्याय का तीसरा मंत्र है
  • पूरे वेद में केवल एक ही जगह व्याहतिया लगाई गई है, वह भी केवल गायत्री मंत्र के साथ तथा उसके दृष्टा विश्वामित्र थे तो इस का अर्थ कि इसका तत्रात्मक रूप मे भी इसका उपयोग हो सकता है
  • ॐ अपने आप में ही महाबीज है तथा इसके जोड़ देने पर भौतिक सुविधा व सुख शांति मिलती है
  • जिस उद्देश्य से हम सुन्दरीतापिन्युपनिषद् का प्रयोग करते हैं ताकि हमारा धन-धन्य वैभव बढ़े तथा दुख कष्ट हटे तो वह सब गायंत्री मंत्र के जप से मिल जाता है, ऐसा गुरुदेव का कहना है जैसे इसमें हमें
  1. आयु व प्राण मिल गया तो महामृत्युंजय मत्रं की आवश्यकता नही पडी
  2. प्रजाम् – पालने की शक्ति मिल गई
  3. पशुम – सुख सविधा संसाधन मवेशी मकान
  4. कीर्तिम – यश मिल ही रहा है
  5. द्रविडम – गायंत्री साधक कभी दरिद्र नहीं होता
  6. बह्मवर्चसम – आत्म ज्ञान भी दे रहा है
  7. बह्मलोक तक भी मिल रहा है
  • इसीलिए विश्वामित्र ने गायंत्री को कामधेनु कहा क्योंकि इससे वे सभी इच्छाएं पूरी की जा सकती है इसलिए गुरुदेव ने अन्य तत्रांत्मक मंत्रो के उपयोग के लिए कभी नहीं कहा
  • इन मत्रों का उन दिनों प्रयोग करते थे जब लोग इस प्रकार की मेंटालिटी के होते थे

सावित्री कुण्डलिनी एवं तंत्र में आया है कि इस सम्पूर्ण शरीर को समस्त जीव कोशो को महाशक्ति की प्राण प्रक्रिया संभाले हुए है, उस प्रक्रिया के दो धुव्र दो खण्ड है एक को चय प्रक्रिया (Anabolic Action व दूसरे को अपचय प्रक्रिया (Catabolic Action) कहते है, का क्या अर्थ है

  • जैसे हमारे भौतिक शरीर के सारे क्रिया कलाप अतः स्त्रावी ग्रंथियों (Endocrine Glands) से चलते हैं, इनमें से देखना है कि कौन सा Endocrine Gland शरीर के Metabolic system को नियंत्रण कर रहा है, उसमें Thyroid व Parathroid है तथा इसकी पहुच पूरे शरीर में है, यही विशुद्धि चक्र भी है
  • Thyroid थोडा बड़ा होता है व इसके दोनो ओर मटर के दाने जैसे Parathroid Gland होते है
  • जैसे Brain में Pineal – Pitutary दो है, इसी प्रकार गले में Thyroid Parathyroid दोनो है
  • Parathyroid -> कैलशियम व फास्फेट का Regulator है, हड्डियो में कैलशियम की कमी या अधिकता से शरीर में कई तरह के रोग व समस्याएं उत्पन्न हो सकती है
  • Thyroid -> Metabolic Anabolic वाली सभी process करता है
  • विशुद्धि चक्र की 16 पखुडियां है तो यह 16 मर्म बिन्दुओं तक जाते है, यहा से उदान प्राण सब जगह काम करता है तथा पूरे शरीर में इसकी पहुंच है
  • Pitutary, Master Gland है, यह सबके लिए Stimulating Hormone निकालता है
  • सभी Hormonal system को Activate करने के लिए, यही काम करता है
  • चक्र सश्लेषण (शक्तियो को बाहर से खीचकर लाना) व विश्लेषण (भीतर के Toxines बाहर निकालना) -> चक्र दोनो कार्य करते हैं तथा सारे Hormones चंक्रो से जुडे है
  • पूरे शरीर को कोई ना कोई सिस्टम नियंत्रित करता है, वह सिस्टम हमारे शरीर में विद्यमान चक्र (सूक्ष्म शरीर में) होते हैं तथा अंत व बाह्य स्त्रावी ग्रंथियां (स्थूल शरीर में) होती हैं

सावित्री कुण्डलिनी एवं तंत्र में आया है कि इस सम्पूर्ण शरीर को समस्त जीव कोशो को महाशक्ति की प्राण प्रक्रिया संभाले हुए है, उस प्रक्रिया के दो धुव्र दो खण्ड है एक को चय प्रक्रिया (Anabolic Action व दूसरे को अपचय प्रक्रिया (Catabolic Action) कहते है, का क्या अर्थ है

  • जैसे हमारे भौतिक शरीर के सारे क्रिया कलाप अतः स्त्रावी ग्रंथियों (Endocrine Glands) से चलते हैं, इनमें से देखना है कि कौन सा Endocrine Gland शरीर के Metabolic system को नियंत्रण कर रहा है, उसमें Thyroid व Parathroid है तथा इसकी पहुच पूरे शरीर में है, यही विशुद्धि चक्र भी है
  • Thyroid थोडा बड़ा होता है व इसके दोनो ओर मटर के दाने जैसे Parathroid Gland होते है
  • जैसे Brain में Pineal – Pitutary दो है, इसी प्रकार गले में Thyroid Parathyroid दोनो है
  • Parathyroid -> कैलशियम व फास्फेट का Regulator है, हड्डियो में कैलशियम की कमी या अधिकता से शरीर में कई तरह के रोग व समस्याएं उत्पन्न हो सकती है
  • Thyroid -> Metabolic Anabolic वाली सभी process करता है
  • विशुद्धि चक्र की 16 पखुडियां है तो यह 16 मर्म बिन्दुओं तक जाते है, यहा से उदान प्राण सब जगह काम करता है तथा पूरे शरीर में इसकी पहुंच है
  • Pitutary, Master Gland है, यह सबके लिए Stimulating Hormone निकालता है
  • सभी Hormonal system को Activate करने के लिए, यही काम करता है
  • चक्र सश्लेषण (शक्तियो को बाहर से खीचकर लाना) व विश्लेषण (भीतर के Toxines बाहर निकालना) -> चक्र दोनो कार्य करते हैं तथा सारे Hormones चंक्रो से जुडे है
  • पूरे शरीर को कोई ना कोई सिस्टम नियंत्रित करता है, वह सिस्टम हमारे शरीर में विद्यमान चक्र (सूक्ष्म शरीर में) होते हैं तथा अंत व बाह्य स्त्रावी ग्रंथियां (स्थूल शरीर में) होती हैं

मणिपुर चक्र से भी Nerve पूरे शरीर में फैली है, फिर विशुद्धि चक्र को अधिक महत्व क्यों दिया गया है

  • विशुद्धि चक्र के 16 पंखुडिया, 16 Joints पर जा रहे
  • Vegus Nerve, Brain से चलकर पूरे शरीर में जा रहा है तथा ये सब अपने Area में ही अधिक काम करते है, पंखुडिया Magnetic field है,
  • नीचे से उपर जाने पर Frequency बढ़ता है तथा wavelength कम होता है
  • नीचे वाले चक्रो का Range, Heat प्रधान है
  • उपर वाले चक्रो का Range concious प्रधान है
  • जैसे First Gear में High speed में नहीं जा सकते परन्तु Load , First Gear में अधिक उठा सकते है, नीचे के चक्र भारी स्थूल भोजन को पचाकर पूरे शरीर में एक अलग Path way से ले जाता है
  • जैसे बुखार में पहलवान या हाथी भी नही चल पाता इसका अर्थ है कि जोडों वाला प्राण कमजोर हुआ है, जोडो पर उदान प्राण है
  • पेट खराब है तो आदमी कमजोर नहीं होता तथा दौड भी सकता है परन्तु उदान के कमजोर होने पर वह खडा भी नही हो पा रहा
  • उदान प्राण हमें खडा करता है
  • पूरे शरीर में अलग-अलग रास्तो से प्राण का प्रवाह होने के कारण कुछ समस्या आने पर भी काम चलता रहता है जैसे एक की आँखे चले जाने के बाद उसकी अंगुलियों में आंखें निकल आई, हर जगह Brain गया है कही भी किसी Cell को देखने की क्षमता दे सकता है, हाथ कट भी जाए तो भी बना रहता है सूक्ष्म शरीर वाला फिर भी रहता है
  • फिर भी शरीर में Bioelectric Body व Bioplasmic Body काम करते रहते है

जाबालोपनिषद् में पिपलाद ऋषि भगवान जाबालि से पूछते हैं तो यहा यह प्रश्न है कि क्या पिपलाद ऋषि, भगवान जाबालि से स्तर में कम थे

  • जो प्रश्न पिपलाद ऋषि जाबालि से कर रहे है तो इसका अर्थ यह है कि जो प्रश्न पिपलाद ऋषि भगवान जाबालि से पूछ रहे है, उसका उत्तर पिपलाद ऋषि के पास नहीं था
  • पिपलाद ऋषि अपने विषय के Expert थे
  • जैसे डॉक्टर को मकान बनाना है तो वह इंजीनियर से ही पूछेगा
  • हर ऋषि अपने अपने खास विषय में Phd किए रहते है, उसके अलग विषय में जाना हो तो फिर अलग Phd Expert से पूछना होता है
  • जैसे वशिष्ट ऋषि ने दशरथ से कहा कि पुत्रेष्टि यज्ञ तो मै भी करा सकता हूँ लेकिन फलीभूत नहीं होगा, मै भी सभी मंत्र जानता हूँ परन्तु मंत्रो में जो वाक शक्ति चाहिए जो श्रृंगी ऋषि के पास है, तो केवल जानने भर से बात नही बनती, उस विषय में वो ऋषि अधिक तप किए होगे जिस विषय में उत्तर लेना है
  • इसलिए ऋषि अन्य ऋषि से पूछते थे जैसे ब्रह्मज्ञानी अष्टावक्र, पिपलाद से प्रश्न पूछते थे तथा उदालक, श्वेतकेतु दुर्वासा सभी ब्रह्मज्ञानी थे फिर भी प्रश्न पिपलाद पूछते हैं तथा ऋषि याज्ञवल्क, ऋषि भारद्वाज से पूछते है
  • अलग अलग विषयों (भौतिकी व आत्मिकी के अलग अलग विषयो में) के अलग अलग ऋषिगण Phd किए रहते थे, इसलिए जिस ऋषि को जरूरत पड़ती थी तो वो उस विषय के Expert ऋषि के पास पहुंचकर प्रश्न करते थे

परमतत्व क्या है

  • परमात्मतत्व को परमतत्व कहते हैं
  • पाच भौतिक तत्व है = पंचमहाभूत
  • पाच सूक्ष्म तत्व भी है = मन बुद्धि प्राण आत्मा परमात्मा
  • ये चेतनात्मक Dimension है

गायंत्रयुपनिषद् में मौदग्लय ने मैत्रय से कहा,सावित्री का प्रथम पाद तत्सवितुवरेण्यं है, दूसरा पाद भर्गो देवस्य धीमहि तथा तीसरा धियो यो नः प्रचोदयात, तो ये गांयत्री के तीन चरण है या सावित्री के तीन चरण है

  • यहा संशय इसलिए उठा कि गिरिधर को मुरलीधर क्यों कह दिया
  • गायंत्री प्राण विद्या है और सावित्री सविता की शक्ति है, गांयत्री ही सावित्री है, अलग देविया नहीं है
  • सावित्री भौतिकी भी है और जहा केवल सावित्री एक ही नाम लिया गया तो इसे अपने में पूर्ण (गायंत्री + सावित्री) मानेंगे
  • जब एक ही नाम लिया गया है तो गायंत्री मंत्र को ही सावित्री मंत्र कहा जाता है
  • जहां गायंत्री व सावित्री  दोनों बोला जाएगा तो हम कहेंगे कि एक आध्यात्मिकी है तथा दूसरी भौतिकी है, केवल सावित्री नाम आया तो समझें कि यहा गायंत्री के बारे में कहा जा रहा है

जब सभी ऋषि अपने विषय के Expert होते थे तथा आत्मज्ञानी भी थे तथा आत्मज्ञान पाने के पश्चात सम्पूर्ण ज्ञान मिल जाता है परन्तु ज्ञान अनन्त है तो यहा ऐसा प्रतीत होता है कि आत्मज्ञान पाने के पश्चात भी सम्पूर्ण ज्ञान किसी को भी नही है, कृप्या इसे स्पष्ट करे

  • वहा सम्पूर्ण ज्ञान का अर्थ है कि भौतिक जगत के रहस्य को जान जाते है कि भौतिक जगत है ही नहीं, यही सम्पूर्ण ज्ञान है
  • अहम जगतवा सकलम शून्यम व्योम समम सदा -> ये सभी ऋषिगण इस बात को सिद्ध कर चुके थे
  • परन्तु अब संसार में रहकर ढेर सारा काम करना है तो संसार जगत में अलग अलग Faculty होता है
  • आत्म जगत में Faculty होता ही नहीं केवल आत्मा है, चिदाकाश है वहा पर सृष्टि है ही नहीं तो किसके लिए क्या खोज करे
  • संसार में लोक कल्याण के लिए ऋषि गण अलग अलग खोज करते थे
  • हर मंत्र का एक ऋषि है, एक देवता(विषय) है
  • Albert Einestein भौतिक जगत से यह जान चुके थे कि संसार है ही नही तथा फिर कहा कि आत्मा को Partical Physics से नहीं जाना जा सकता, इसलिए पूज्य गुरुदेव उन्हें ऋषि कहते थे
  • दोनो ( भौतिकी व आध्यात्मिकी ) को साथ लेकर चलने वाला तरीका सही है, वेदो का आदेश है विद्याम् च , अविद्याम् च, क्योंकि शरीर व आत्मा अलग अलग नहीं है, दोनो एक दूसरे के साथ मिलकर चलते हैं, जैसे छिलका गुदा गुठली सभी साथ साथ है
  • पांचो मंजिला इमारत में पांचो कोशो की सफाई आवश्यक है

जो सांसारिक नियम है, तो संसार अपने नियमों से ही चलेगा, तत्व ज्ञान व आत्मज्ञान दोनो ही चलेंगे तो क्या तभी वह श्रेष्ठ साधक कहलाएगा

  • उपनिषदों में आया है कि 2 विद्याए जानने योग्य है -> परा व अपरा
  • गायंत्री मंत्र में दो विद्याएं साथ साथ चलती है ->12 अक्षर भौतिकी + 12 अक्षर आध्यत्मिकी
  • ईश्वर जब सर्वव्यापी है तो वह जड़ के प्रत्येक कण में घुला है
  • ईश्वर को छोड़कर जड़ की सत्ता नहीं है तो साथ रखना ही पड़ेगा
  • इसलिए श्री कृष्ण अर्जुन को कहते है तु युद्ध भी कर और हमें स्मरण भी कर, आत्मा में रहेगा तो निर्लिप्त रहेगा, निर्लिप्तता आत्मा का गुण है
  • इसलिए हमे प्रत्येक कर्म आत्म स्थित रहकर करना पड़ेगा, अन्यथा यह माया हमें दबोच लेगा
  • देवता पशुओं पर सवारी किए हैं जैसे गणेश जी चूहे की सवारी करते है ना कि चूहा गणेश जी पर टहल रहा है, देवता पशु वृतियो को अपने भीतर दबा कर रखते हैं, सिर्फ शरीर का एक हिस्सा डुबाते है, हम आकण्ठ डूब जाते है
  • पेट भरते की व्यवस्था हो गई तो स्वयं को झोक दो अपने को जानने में नही तो अगली कक्षा के लिए एक बालू का कण भी सूक्ष्म जगत में नहीं जाने वाला
  • ज्ञानवान की ही संसार मे पूजा होती है तथा ज्ञान से ही सभी कष्ट दूर होते हैं

आत्मिकी के सिद्धांत को सदैव याद रखने का सहज और सरल तरीका क्या है कृप्या प्रकाश डाला जाय

  • भुल्लकडी आता है तो जेब में एक पत्थर का टुकड़ा रखे तो जब जब चुभेगा तो याद आएगा
  • ऋषि लोग याद रखने के लिए ही जनेऊ रूप में धागा रखते थे ताकि हम सदैव याद रखे
  • आत्म समीक्षा करो कि हम समाज निर्माण परिवार निर्माण के लिए क्या कर रहे हैं
  • ऋषियों ने कहा कि धागा अपने पर तब तक लपेटो जब तक व्यवहार में न आ जाए
  • जब व्यवहार में आ गया तो फिर संन्यास आश्रम में सब उतार कर फैकना पड़ता है, फिर चोटी व जनेऊ सब फैकना होता
  • जिसका ज्ञान ही शिखा हो उसका ही बाह्मणत्व सफल है
  • आत्मिकी के सिद्धांत को सदैव याद रखने का सहज और सरल तरीका जूनून पर निर्भर करता है कि हमें आत्मिकी को जानना ही जानना है, यह Top Priority पर रखें
  • Top Priority वाला कभी नही छूटेगा
  • वन्दनीय माता जी ने एक बार कहा था कि बह्म मूहर्त मे कभी मत सोना, दिन में कभी भी सो लेना
  • उस समय बह्ममूहर्त में हिमालय की ऋषि सत्ताएं आत्मज्ञान के Signal / संदेश भेजती है, बह्ममूहर्त सुर्योदय से 2 घंटा पहले होता है
  • आत्मा की खेती करने का यही समय है
  • ईश्वर के लिए समय अवश्य निकाले तथा कुछ ऐसा करे कि खूटे में न बंधे तथा अपने काम के लिए मैनेजर रख ले
  • घर में बंधे रहेंगे तो विवेकानन्द कौन बनेगा, घर परिवार थोडे से लोगो के लिए जीते रहे तो विश्व को परिवार कौन मानेगा तथा विश्व का ऋण कौन चुकाएगा
  • इसलिए Management बुद्धि यही है कि अपना substitute खडा कर दे तथा स्वयं को स्वाध्याय व आत्मानुसंधान में जाने के लिए Free कर दे क्योंकि मौत कभी भी आ सकती है, कल किसी ने नहीं देखा     🙏

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