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पंचकोश जिज्ञासा समाधान (02-10-2024)

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (02-10-2024)

आज की कक्षा (02-10-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:-

श्री चक्रोपनिषद् में आया है कि मूलाधार से बह्मरध्र सहस्तार तक क्रमशः अंगन्यास है, स्वराट चक्र, विराट चक्र . .शत्रुजीत चक्र,  पर कम्रशः अंगन्यास करे

  • अगन्यास्त्र = तीर से अग्नि की वर्षा करना
  • अंगन्यास = हमें कुण्डलिनी जागरण में जल्दबाजी नहीं करनी, पहले शरीर के सभी कोश शुद्धि हो गए व नांडिया शुद्ध हो जाए तथा एक एक चक्र पर पूरी तरह (सतोषजनक) Command हो जाए / जाग जाए
  • चक्रो का जागरण = सारे चक्र स्वचालित कार्य करने लगे, एक बार चक्र जगा लेगे तब किसी एक तत्व का शरीर में कमी यदि हो भी जाएग तो वह चक्र सीधा अंतरिक्ष से खींच लेगा
  • शरीर में चक्रों का अन्य लोको से तथा सम्पूर्ण universe से संबंध रहता है परन्तु जब चक्र नहीं जगा रहता तो साधक विपरित परिस्थितयों में भी unbalance करता है
  • शरीर के भीतर अनन्त ऋद्धि सिद्धिया है
  • अग्नि के प्रहार से कुण्डलिनी जगती है
  • ऋषि को शब्दों की परिधी में नहीं बांध सकते अपने अपने अनुरूप  गुणबोधक कोई भी शब्द इस्तेमाल कर लेते है
  • वे किसी के बंधन में नही रहते

कौशितिकीबाह्मणोपनिषद् में आया है कि जो देवयान मार्ग के पथिक है उन्हे अग्निलोक में प्रवेश करना चाहिए, उसके बाद वायु लोक फिर सुर्य लोक में तथा फिर वरूण लोक में प्रवेश करना चाहिए फिर इंद्रलोक तथा फिर बह्म लोक में प्रवेश करना चाहिए, कहने का क्या तात्पर्य है

  • अग्नि लोक शरीर में नीचे वाले हिस्से है -> अग्नि लोक में स्वादिष्ठान वाला Area आता है
  • स्वादिष्ठान को ही अग्नि कुण्ड कहते हैं क्योंकि अग्नि का वास जल में है, हमें लगता है कि आग व पानी दुशमन है परन्तु विज्ञान की दृष्टि से देखे
  • जल का Chemical Formula = H20 = H2  + 1/2 O2
  • Cold Energy से अग्नि को गुजारा जाएगा तो Liquid में बदल जाएगा, अधिक condense करेंगे तो Solid (पृथ्वी) में बदल जाएगा
  • वायु लोक = अनाहात चक्र वाला Area
  • आज्ञा चक्र (सुर्य लोक) में सूर्य का वास है
  • सहस्तार चक्र में चद्रमा का वास है
  • इसी मार्ग पर रसमय जीवन शुरू हो जाता है, आनन्द को वरूण कहते है
  • पांडव 5 थे तो सब अलग अलग देवताओं के तेज से उत्पन्न हुए
  1. सुर्य से कर्ण
  2. यम प्राणो पर नियंत्रण करता है – युठिष्ठर प्राण तत्व से उत्पन्न हुए
  3. मन इंद्रियो का शासक है – इससे अर्जुन बने
  • विज्ञानमय कोश का सम्बंध वायु से है – भीम
  • आनन्दमय कोश(रस) को वरूण कहा जाता है – इससे जुडवा दो हुए नकुल व सहदेव
  • जहा आज्ञा चक्र पकेगा वहा आनन्द का Area शुरू हो जाएगा
  • यहा शासक / मुखिया / घर का मुखिया को झ्द्र कहेंगे, दो की सत्ता यहा पर नहीं है
  • ईश्वर को सर्वव्यापी मानना अन्य की सत्ता को अस्वीकार करना
  • जब ईश्वर ही सब जगह है तो दूसरे को जगह ही कहा मिलेगा
  • ईश्वर को सर्वव्यापी मानना यानी दूसरे की सत्ता को मिटा देने के समान है
  • ईश्वर शांतिमय है, पवित्र है, आनंदमय है तो हमें भी सदैव शांति वे आनंद में रहना है

त्रिदण्ड क्या है

  • दण्ड = सहारा
  • त्रिआयामी सृष्टि / त्रिधा प्रकृति ही त्रिदण्ड है
  • दण्ड का अर्थ कोई सजा नही
  • व्यक्ति के जीवन का आधार ही धर्म है
  • उस धर्म को धारण करो जो पूरे विश्व का आधार है, क्षेत्रीय धर्म नहीं जैसे सामप्रदाय में खास Community के लोगो के लिए लागु होती है
  • जो धर्म सभी लोगों में एक समान लागु हो उसकी विडंबना कभी मत करना । जैसे सत्य, विवेक, संयम, कर्तव्य, अनुशासन, अनुबंध, सौजन्य, पराकर्म, सहकार, परमार्थ -> इस धर्म को सहारा बनाना ना कि किसी विशेष सप्रदाय हिंदु मस्लिम सिक्ख इसाई को . . .
  • हमारा वैदिक धर्म होना चाहिए
  • यह भी हो सकता है कि हमारे पूर्वजों में से कोई चींटी योनि में रहकर आनंद ले रहा है तो हमें उनके लिए भी कार्य करना है

विष्णु लिंग व्यक्त और अव्यक्त ऐसे दो प्रकार के चिन्ह विष्णु के कहे गए है, का क्या अर्थ है

  • विष्णु जब अवतार लेकर कृष्ण बने तो उन्होंने बताया कि हमारी प्रकृति दो प्रकार की है – परा(नही दिखाई पडने वाली) [आत्मिकी] व अपरा (दिखाई पडने वाली) [भौतिकी]
  • दोनो प्रकार की विद्याओं को हम जाने
  • आत्मिकी से जीवात्माओं को उत्पन्न किया तथा भौतिकी से संसार के सभी साधन बनाए तथा दोनो से आनन्द लेते है
  • हमें आत्मा का परिष्कार भी करना है, देवता भी बना है तथा धरती पर स्वर्ग का अवतरण भी करना है -> यही दो प्रकृति है
  • जीवित रहते ही इन दोनो👆 को प्राप्त कर ले

अणिमा, लघिमा, महिमा ये कौन सी सिद्धियां हैं ?

  • अपने को छोटा बना देना, अपनी Bio Plasmic रूपी भाप को अपनी इच्छानुसार छोटा बना लेना = अणिमा
  • विराट कर लेना = महिमा
  • हल्का बना लेना = लघिमा
  • भारी कर लेना = गरिमा (जैसे अंगद का पैर), यह सिद्धी जिसके पास है, वह किसी पर भी दृष्टि डालकर उसे भारी कर देगा
  • उन दिनो लोग साधना प्रखर करते थे
  • आज के समय में स्थूल शरीर से उडने वाला नहीं सूक्ष्म शरीर से उड़ने की शक्ति मिलेगी, विचारो में उडने की कला
  • विहंगम दृष्टि -> साक्षी भाव कभी भी पा सकता है
  • शिवजी ने बताया कि कलयुग पृथ्वी तत्व प्रधान है तो अन्य प्रकार की साधनाएं करने का Right नही है, यदि करेंगे तो उलटा पुलटा हो जाएगा तथा सिद्धिया भी नहीं मिलेगी
  • पंचांग योग (पचंकोश) साधना से अन्य युगो की साधना करने का सूक्ष्म लाभ इस युग में भी ले लेंगे
  • गुरुदेव ने कहा है कि जूता / मौजा पहनकर मंच पर ना जाएं, अपितु झाडू भी लगाए तथा स्टेज पर भाषण भी दे
  • जो जितना उपर उठेगा तो उतना सरल तथा विनम्र होगा

 क्या केवल स्वाध्याय से ध्यान का फल पाया जा सकता है

  • स्वाध्याय ही असली ध्यान है
  • अपनी समीक्षा (Self Postmortem) ही असली स्वाध्याय है
    – अपने से Practical करके देखना चाहिए जैसे अवस्वाद से रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा जहर पचाने की क्षमता भी बढ़ती है ( कई बार बिच्छु के काटने का भी कोई असर नही हुआ) तथा BP भी नही घटा, तब अनुभव मिला कि Practical सही है, तब Practical बदल दिया
  • जीवन भर एक ही Practical न करे

जब हम समाधि से सहज समाधि की स्थिति में आते हैं तो क्या द्धैत भाव, अद्धैत भाव में बदल जाता है या अद्धैत भाव किस स्थिति में आता है

  • सहज समाधि ही अद्धैत भाव है
  • कबीर दास ने कहा उठत बैठत कभु न बिसरै ऐसी ताडी लागी, आँख न मूंदू, कान न रुंधु, काया कष्ट न धारू, खुले नयन से हस हस देखु, सुन्दर रूप निहारू, साधु सहज समाधि भली -> जब ईश्वर को हम सर्वव्यापी देखने लगें
  • बिंदु साधना में बताया है कि हर छोटे से छोटे कण में भी ईश्वर है तब हम अपने भीतर भी आत्मा के भीतर कौन बैठा है तो वहा भी ईश्वर है, उस अवस्था में साधक कहता है कि अहम बह्मास्मि!

इदम गायंत्री इदम नममः का क्या अर्थ है

  • प्रत्येक मंत्र का देवता होता है
  • गायंत्री मंत्र का देवता सविता (परबह्म) है
  • सृष्टि के कण कण में गायंत्री की (बह्म की) चेतना है, गायंत्री वा इदम सर्वम -> मेरा यहा कुछ नहीं
  • ईश्वर की इच्छा के बिना कुछ संभव नहीं

High BP or Diabetes को कैसे ? control किया जा सकता है ?

  • गायंत्री की पंचकोश साधना से सब रोग समाप्त हो जाते है
  • उपनिषद का कहना है कि महामुद्रा, महाबंध व महाभेद से समस्त रोग नष्ट हो जाते है तो ये रोग भी इन्ही सभी रोगो में आते है
  • इसका Practice अधिक करे तथा इसमें कहा कमी आ रही यह देखेंगे , फिर हाथो हाथ Result मिल जाएगा   🙏

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