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Category: Panchkosh Sadhana (पञ्चकोश-साधना)

Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश – २

अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन –  १. उपवास अन्नमय कोश की अनेक सूक्ष्म विकृतियों का परिवर्तन करने मे उपवास वही काम करता है जो चिकित्सक के द्वारा चिकित्सा के पूर्व जुलाब देने से होता है | ( चिकित्सक इसलिए जुलाब आदि देते हैं क्योकि दस्त होने से पेट साफ़ हो और औषधि अपना …

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश -१

गायत्री के पांच मुखों मे आत्मा के पांच कोशों मे प्रथम कोश का नाम ‘ अन्नमय कोश’ है | अन्न का सात्विक अर्थ है ‘ पृथ्वी का रस ‘| पृथ्वी से जल , अनाज , फल , तरकारी , घास आदि पैदा होते है | उन्ही से दूध , घी , माँस आदि भी बनते …

पञ्चकोश-साधना (Panchkosh Sadhna)

पाँच तत्वों से बने इस शरीर में उसके सत्व गुण चेतना के पाँच उभारों के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं (१) मन, माइण्ड (२) बुद्धि, इण्टिलैक्ट (३) इच्छा, विल (४) चित्त, माइण्ड स्टफ (५) अहंकार, ईगो पाँच तत्वों (फाइव ऐलीमेण्ट्स) के राजस तत्व से पाँच प्राण (वाइटल फोर्सेज) उत्पन्न होते हैं। पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ उन्हीं के …

अन्न्मय-कोष का प्रवेश द्वार – नाभि चक्र

गर्भाशय में भ्रूण का पोषण माता के शरीर की सामग्री से होता है। आरंभ में भ्रूण, मात्र एक बुलबुले की तरह होता है। तदुपरान्त वह तेजी से बढ़ना आरंभ करता है। इस अभिवृद्धि के लिए पोषण सामग्री चाहिए। उसे प्राप्त करने का उस कोंटर में और कोई आधार नहीं हैं । मात्र माता का शरीर …