ईश्वर का स्वरूप एवं कार्य प्रणाली क्या हो सकता है? —- उत्तर स्वयं भगवान विष्णु द्वारा ~ प्रज्ञोपनिषद्(प्रथम मण्डल) ————————————————————————– ” निराकारत्व हेतोश्च प्रेरणा कर्तुमीश्वर: । शरीरिणश्च गृहणामि गति संचालने तत: ॥ — 1.31 (” निराकार होने के कारण मैं प्रेरणा ही भर सकता हूँ । गतिविधियों के लिए शरीरधारियों का आश्रय लेना पड़ता है, …
अन्नमयकोश पर शोध हेतु प्रायोगिक विषय ~ ———————————————————- चूँकि 10 वर्षीय पंचकोशी-साधना अभियान में ~ प्रत्येक कोश पर शोध के लिए मात्र दो वर्ष ही मिल रहे हैं। अत: अच्छे परिणाम के लिए प्रायोगिक साधना को नियमबद्ध करना अनिवार्य है ~ * आज मकर संक्रान्ति है— उत्तरायण सूर्य का प्रस्थान बिन्दु है — तो चेतना …
भूर्भुवः स्वस्त्रयो लोका व्याप्तमोम्ब्रह्म तेषुहि स एव तथ्यतो ज्ञानी यस्तद्वेत्ति विचक्षणः॥ -गायत्री स्मृति शास्त्रों का कथन है कि “भू, भुवः ओर स्वः ये तीन लोक हैं। इन तीनों लोकों में ॐ ब्रह्म व्याप्त है। जो बुद्धिमान उस व्यापकता को जानता है, वह ही वास्तव में ज्ञानी है।” यह विश्व तीन भागों में विभक्त है। प्रत्येक …