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Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (27-12-2024)

कक्षा (27-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- ईशावास्योपनिषद् में आया है कि जो लोग असम्भूति की उपासना करते है वे लोग घोर अंधकार में घिर जाते है, जो केवल सम्भूति की उपासना करते है वे भी घोर अंधकार में घिर जाते है, का क्या अर्थ है सम्भूति = सृजन सृष्टि परिवर्तन शील है, यदि …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (26-12-2024)

आज की कक्षा (26-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- ईशावास्योपनिषद् में आया है कि जो केवल अविद्या की उपासना करते है वे घोर अंधकार में घिर जाते हैं और जो केवल विद्या की उपासना करते है, वे भी उसी प्रकार के अंधकार में फंस जाते है, का क्या अर्थ है दोनो को साथ लेकर …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (25-12-2024)

आज की कक्षा (25-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- ईशावास्योपनिषद् में आया है कि अविचल वह ईश एक ही है, जो मन से भी अधिक वेगवान् है, वह सबसे पुरातन एवं स्फूर्तिवान् है, उसे देवगण (देवता अथवा इंद्रिय समूह) प्राप्त नहीं कर पाते, वह स्थिर रहते हुए भी दौड़कर अन्य (गतिशीलों) से आगे निकल …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (24-12-2024)

आज की कक्षा (24-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- ईशावास्योपनिषद् में आया है कि वे (इस अनुशासन का उल्लंघन करने वाले) लोग असुर्य (केवल शरीर एवं इंद्रियों की शक्ति पर निर्भर – सदविवेक की उपेक्षा करने वाले) नाम से जाने जाते हैं, वे (जीवन भर) गहन अंधकार (अज्ञान) से घिरे रहते हैं, वे आत्मा …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (23-12-2024)

आज की कक्षा (23-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- ईशावास्योपनिषद् में आया है कि यहा कर्म करते हुए 100 वर्ष तक जीने की कामना करे, कर्म मनुष्य को लिप्त नहीं करते, यह तुम्हारे लिए है, इसके अतिरिक्त परम कल्याण का कोई और अन्य मार्ग नहीं है, यहा कर्म कैसे लिप्त नहीं करते कर्म मनुष्य …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (20-12-2024)

आज की कक्षा (20-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- अमृतनादोपनिषद् में आया है कि साढे 30 अंगुल लम्बा प्राण श्वास के रूप में जिसमें प्रतिष्ठ्त है, वही इस प्राण वायु का वास्तविक आशय है, यही कारण है कि इस प्राण के रूप में भी जाना जाता है, जो बाह्य प्राण है उसे इंद्रियों के …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (19-12-2024)

आज की कक्षा (19-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- अमृतनादोपनिषद् में आया है कि पदमासन स्वातिकासन और भद्रासन में से किसी एक आसन में आसीन होकर उत्तराभिमुख होकर के बैठना चाहिए, यहा भद्रासन व उत्तराभिमुख का क्या अर्थ है उत्तराभिमुख के दो अर्थ है पूर्व दिशा व उत्तर दिशा दोनो आध्यात्मिक है पश्चिम मे …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (18-12-2024)

आज की कक्षा (18-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- अमृतनादोपनिषद् में आया है कि श्वास को न तो अतःकरण में आकृष्ठ करे और ना ही बर्हिगमन करे तथा शरीर में कोई हलचल भी ना करें, इस तरह से प्राण वायु रोकने की प्रक्रिया को कुंभक प्राणायाम का लक्षण कहा गया है, इसका Practical कैसे …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (17-12-2024)

आज की कक्षा (17-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- अमृतनादोपनिषद् में आया है कि प्राण वायु को आकाश में निकालकर हृदय को वायु से रहित एवं चिन्तन से रिक्त करते हुए शून्य भाव में मन को स्थिर करने की प्रक्रिया रेचक है, यही रेचक प्राणायाम का लक्षण है, का क्या अर्थ है आकाश में …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (16-12-2024)

आज की कक्षा (16-12-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- अमृतनादोपनिषद् में आया है कि प्रत्याहार, ध्यान, प्राणायाम, धारणा, तर्क तथा समाधि, इन छ अंगो से युक्त साधना को योग कहा गया है, इसमें तर्क को योग कैसे कहेंगे तर्क = शास्त्रों के स्वाध्याय मनन चिंतन = विचार स्वाध्याय हमें सही व गलत पर निष्कर्ष …