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Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (12-08-2024)

आज की कक्षा (12-08-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- योगशिखोपनिषद् में सम्पूर्ण शरीरों में वायु पश्चिम मार्ग से प्रवेश करता है, रेचक होने पर क्षीण हो जाता है तथा पूरक होने पर उसका पोषण हो जाता है, का क्या अर्थ है प्राण अदृश्य है इसलिए उसे पूर्व (आगे) न कहकर पश्चिम (पीछे) कह दिया …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (13-08-2024)

आज की कक्षा (13-08-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- योगशिखोपनिषद् में ग्रसित कर देता है तथा सभी दोष उत्पन्न हो जाते है, जब क्षेत्रज्ञ और परमात्मा एक होता है तब साधना के द्वारा उस बह्म में चित्त विलीन हो जाता है, तब ऐसी एकीकरण से प्राण की स्थिरता को प्राप्त हो जाने पर लययोग …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (14-08-2024)

आज की कक्षा (14-08-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- योगशिखोपनिषद् में आया है कि संसार में दो प्रकार के सिद्धो का वर्णन है कल्पित सिद्ध व अकल्पित सिद्ध परन्तु महायोगी जीवनमुक्त हो जाते हैं इसमें संशय नहीं है, का क्या अर्थ है अकल्पित सिद्ध -> एक स्वभाव से ही शांत है / संत है …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (15-08-2024)

आज की कक्षा (15-08-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- योगशिखोपनिषद् में आया है कि रम्भा का यह शरीर तीन प्रकार का कहा गया है स्थूल, सूक्ष्म व कारण . . . नाद बीज हिरण्यगर्भ को सूक्ष्म कहा गया है का क्या अर्थ है तथा कारण शरीर का भी वर्णन नही है केवल दो शरीरो …

पंचकोश जिज्ञासा समाधान (14-06-2024)

आज की कक्षा (14-06-2024) की चर्चा के मुख्य केंद्र बिंदु:- भूदेवोपनिषद् में आया है कि दाएं अंग से सृष्टि, बाए अंग से स्थिति तथा मध्य अंग से संहार होता हैं, का क्या अर्थ है दाया अंग = आत्मिकी / Dominant – > वह प्राण जो सारी सृष्टि को control करता है ईश्वर की इच्छा होगी …

Curiosity Solution – 04 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … तुम निरन्तर मेरे स्वरूप का चिंतन करते हुए भजन करो क्योंकि एक मात्र मेरा स्वरूप ही शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि से रहित है, कभी विकार ग्रस्त नही होता … उसका ना कोई नाम है, ना गोत्र है का क्या अर्थ है?उत्तर: यहाँ स्वरूप का अर्थ  -> मैं शरीर नही आत्मा …

Curiosity Solution – 03 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में …  सदयुक्ति के द्वारा आत्मा का ध्यान चिंतन करने के सिवाय मन को अपने वश में करने का अन्य कोई उपाय नहीं है का क्या अर्थ है? पंचबह्मोपनिषद् में शाकल्य ने पिपलाद से पूछा कि सर्वप्रथम किसकी उत्पत्ति हुई तो उन्होने बताया कि पहले सद्योजात, अघोर, वामदेव, तत्त्वपुरुष तथा ईशान की उत्पत्ति को …

Curiosity Solution – 02 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … मन ही सकंल्पमय है, संकल्प का मनन करके इस मनस तत्व को शुष्क कर डालो, जिससे कि यह संसार रूपी बाधक भी रसहीन होकर शुष्क हो जाए, अपने मन के निग्रह करने का एक ही उपाय है कि यह निश्चित करना कि मन का अभ्युदय ही उसका पतन है, का क्या अर्थ …

Curiosity Solution – 01 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … शुभ वासनाओं में ही मन लगाना चाहिए क्योंकि श्रेष्ठ वासनाओं की वृद्धि से दोष उत्पन्न नही होते का क्या अर्थ है?उत्तर: हर छन्दो, शब्दों में गणेश और सरस्वती है इसलिए शब्दों का दुरुपयोग न करे, शब्दों का सात्विक रूप भी होता है, प्राण भी होता हैवासना (हृदय में जो वास करता है) …

Introduction to Panchkosh Sadhana

Youtube link PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 01 अप्रैल 2023 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ । To Join Panchkosh sadhna Program, please visit – https://icdesworld.org/ Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ …